वैज्ञानिकों ने परिणाम प्रकाशित किए एक ऐसी परीक्षण से जो पहली बार किया गया है I इस परिक्षण में १५१ स्वयंसेवको को लुसिड ड्रीम अर्थात स्पष्ट अर्थ के सपने में प्रवेश करने का निर्देश दिया गया तथा सपने में आपने बहो में दर्द का अनुभव करने को कहा गया था I ७४ % प्रतिभागियों ने स्वप्ने में अर्थात लुसिड ड्रीमिंग के दौरान दर्द का अनुभव किवा एवं २१% प्रतिभागियों ने इस दर्द को जागने के बाद भी महसूस किया I
यह अध्ययन “प्रोजेक्ट एलिजाह” के अंतर्गत किया गया था I प्रोजेक्ट एलिजाह, फेज रिसर्च सेंटर नामक अनुसन्धान केंद्रे की एक विशेष शाखा है जो लुसिड ड्रीमिंग (अर्थात एक ऐसा स्वप्न जिसमे व्यक्ति को पता रहता है की वो स्वप्ना देख रहा है), नींद पक्षाघात, शरीर से बाहर के अनुभवों आदि की जांच के लिए समर्पित है I
यह अध्ययन “ड्रीमिंग” नामक एक विशेषज्ञ समीक्षित पत्रिका में प्रकाशित किया गया था I ३०(३), २४६–२५६. लेखक: लेखक: एम रादुगा, जेड.झुनुस्सोवा, ए शशकोव, और एन.सेवेंको।
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक माइकल रेडुगा ने स्पष्ट किया, “यह तथ्य कि एक स्वप्नद्रष्टा अर्थात स्वप्न देखने वाला व्यक्ति स्वेच्छा से बिना किसी शारीरिक कारण के दर्द को प्रवृत कर सकता है , एवं उस दर्द को वास्तविक में स्थानांतरित कर सकता है I इससे यह स्पष्ट होता है की दर्द का स्रोत मानव का मस्तिष्क ही है, अतः इस कारण यह हमारी चेतना के माध्यम से नियंत्रित भी किया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त इस अध्यन से यह ज्ञात होता है की स्वप्ना और जागृत अवस्था के बीच एक ऐसी मनोवैज्ञानिक एवं शारीरिक सम्बन्ध है जो की किसी भी तरह के दर्द को कम करने के लिए नए चिकित्सा पद्धिति का रूप ले सकती है I हमारा अध्ययन उन लोगों के लिए आशा प्रदान करता है जो स्थायी चिरकारी दर्द भोगते हुए जीवन व्यतीत कर रहे है I हमारे अध्ययन के परिणाम से ऐसे चिकीत्सा पद्धिति उजागर हो सकते है जो पूर्णतः नवीन, क्रांतिकारीक तरीके से दर्द को प्रबंधन करने वाला तथा पूरी तरह से हानिकारक केमिकल्स अथवा फार्मास्युटिकल्स से मुक्त हो सकते है I