यह स्पष्ट है कि, हाल के वर्षों में, लुसीद ड्रीम अर्थात स्पस्ट सपने देखने में वैज्ञानिक रुचि तेजी से बढ़ी है। पिछले ५0 वर्षों में इस विषय पर अनुसंधान कैसे विकसित हुआ है, इसकी जांच करने के लिए, डेनियल पेपे के नेतृत्व में केयू ल्यूवेन (बेल्जियम) की एक दल ने मौजूदा साहित्य का सम्यक् मेटा-विश्लेषण किया।
इस अध्ययन में 1966 से 2019 के दौरान के ३०६ लेखो को पढ़ा गया। इन प्रकाशनों में सबसे अधिक लेख अमेरिका से होने का पता चला था (अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा प्रकाशित लेखों की कुल संख्या ५९ थी)। ल्यूसिड ड्रीमिंग के संदर्भ में सबसे उद्धृत स्रोतों में पत्रिका “ड्रीमिंग”, “इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ड्रीम रिसर्च” और “पर्सेप्टुअल एंड मोटर स्किल्स” शामिल हैं। अवरोही क्रम में सबसे सफल शोधकर्ताए है एम श्रेडल, डी एर्लाकर और टी स्टंब्रिस ।
मेटा-विश्लेषण से पुष्टि हुआ कि लुसिड ड्रीमिंग अर्थात स्पस्ट सपने देखने वाले प्रकाशनों की संख्या में सालाना ५-६ % की वृद्धि हो रही है। जाहिर है, यह विषय वैज्ञानिक दुनिया के लिए अधिक से अधिक आकर्षक होता जा रहा है और लंबे समय पहले ही अंतर्भूतता और तत्त्वविज्ञान से अलग हो चूका है I
यद्यपि १९७९ तक ज्यादातर वैज्ञानिक पत्रिकाओं द्वारा लुसिड ड्रीमिंग अर्थात स्पष्ट सपनों की घटनाओ को नजरअंदाज कर दिया जाता था, किन्तु वर्तमान में और आगामी वर्षों में इस विषय पर अधिक शोध की उम्मीद है। अतः यह अध्ययन हमें आशा देती है की आगामी वर्षों में ऐसे वैज्ञानिक कार्यो में प्रगति होगी जो की फेज स्टेट और इसके अनुप्रयोगों के अभ्यास को आगे बढ़ाने में मदद करेंगी ।
यह लेख “इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ ड्रीम रिसर्च” नामक वैज्ञानिक पत्रिका में अक्टूबर २०२० को प्रकाशित किया गया था I