यूके के स्वानसी विश्वविद्यालय के एक वैज्ञानिक दल जिसका नेतृत्व एबिगेल स्टॉक्स कर रहे थे, नए अध्ययन के परिणामों के आधार पर इस नतीजे पर पहुंचे हैं I
इस अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने २० प्रतिभागियों को लूसीड ड्रीमिंग टेक्निक्स (अर्थात ऐसी तकनीक जिससे व्यक्ति स्पष्ट अर्थ के सपने में प्रवेश कर सकता है ) का अभ्यास करने का निर्देश दिया तथा एक सप्ताह तक अपने अनुभवों को डायरी अर्थात अपने पॉकेट बुक में दैनिक विवरण लिखने को कहा I डायरी में, प्रतिभागियों ने अपनी नींद की गुणवत्ता, साथ ही साथ अपनी भावुकता एवं उनके सपने में अनुभव की गई स्पष्टता का स्तर का विवरण लिखा I
इसके पश्चात वैज्ञानिकों ने प्रत्येक प्रतिभागी के लिए सपने में अनुभव की गई स्पष्टता का स्तर का यह ध्यान में रखकर आकलन किया जिससे यह पता चले कि स्वप्न के नियंत्रण से प्रतिभागी के भावुकता एवं जागृत मनोदशा प्रभावित होती है या नहीं I परिणामों से पता चला कि फेस स्टेट (लुसिड ड्रीमिंग अर्थात स्पस्ट अर्थ के सपने, निद्रा गतिविहीनता या पक्षाघात और अन्य ऐसे मानसिक स्तिथियो को “फेस स्टेट” का नाम दिया गया है) मैं उच्च स्तर की स्पष्टता ने स्वप्न पर और प्रतिभागियों के जागने के के बाद मनोदशा, दोनों, पर सकारात्मक प्रभाव डाला। नींद की गुणवत्ता ने इन कारकों को प्रभावित नहीं किया। इस बीच , यह भी उजागर हुआ है कि इन सब कारणों को नींद की गुणवत्ता अपने आप ही प्रभावित नहीं करती I
हालांकि परिणाम उत्साहजनक हैं, इस विषय पर और अधिक अनुसंधान फेस स्टेट के चिकित्सीय प्रभावों को बेहतर बनाने में मदद करेंगे। इसके लिए लंबे समय तक उपर्युक्त बताए हुए सहसंबंध का अध्ययन करना होगा। भले ही प्रथम बार अभ्यास करने वालों को अक्सर फेस स्टेट में भय का अनुभव होता है, अधिकांश अनुभवी व्यक्ति लूसीड ड्रीमिंग से प्राप्त सकारात्मक मनोदशा से परिचित होते हैं I
इस अद्भुत घटना को वैज्ञानिक तथ्य के रूप में स्थापित करने के लिए एबिगेल स्टॉक्स एवं उनके संपूर्ण वैज्ञानिक दल को हम धन्यवाद देते हैं I
यह अध्ययन “कॉन्शियसनेस एंड कॉग्निशन” नामक वैज्ञानिक पत्रिका में अगस्त २०२० को प्रकाशित किया गया था I